नमस्कार दोस्तों ! आज एक स्वरचित कविता भारत के बहादुर वीर सैनिको के नाम समर्पित कर रहा हूँ। भारतीय सैनिक जिनके ऊपर भारत का हर बच्चा बच्चा नाज़ करता है।
वो भारतीय सैनिक ही हैं जिनके ऊपर हम सभी को गर्व है। ये वीर सैनिक चाहे भीषण गर्मी हो, बारिश हो, तूफान हो, माइनस डिग्री का तापमान हो या फिर कोई राष्ट्रीय आपदा, हर जगह मुस्तैदी के साथ अपना फर्ज़ निभाते हैं।
और जब कभी देश पर बाहरी ताकतें अपनी आँख दिखाती हैं तो ये उनके दाँत खट्टे करने से बिल्कुल भी नहीं चूकते। मैं ऐसे वीर भारतीय सैनिको को नमन करता हूँ। आशा है ये कविता आप सभी को पसंद आयेगी।
बच्चा जो था कभी का नौजवान हो गया
बच्चा जो था कभी का नौजवान हो गया
सेना में भरती होके वो जवान हो गया।
दोस्तों को छोड़ वो ट्रेनिंग पे चल दिया
उसको भी नाज़ था कि पहलवान हो गया।
घर हो गया था सूना मुरझाये से सभी
जाने से उसके खाली खलिहान हो गया।
रुकता नहीं था पल भर ट्रेनिंग के बीच में
अच्छे से सीख लेना ही अभियान हो गया।
दिन रात काम करने की आदत सी हो गई
वर्दी ही सिर्फ उसका परिधान हो गया।
आती है अपने घर की याद जब भी उसे
आँखों में आँसुओं का उफान हो गया।
ट्रेनिंग खतम हुई तो बड़ा इत्मिनान था
सीमा पे जाने का फिर फरमान हो गया।
दिल में भरा था जज्बा कुछ कर दिखाने का
सरहद पे आके उसका निगहबान हो गया।
रखते हैं पैनी नज़रें दुश्मन की चाल पे
उनको भी शायद इसका अनुमान हो गया।
कर दूँगा दाँत दुश्मनों के खट्टे मैं सभी
जब कभी भी जंग का ऐलान हो गया।
लाले पड़ेंगे दुश्मनों को जान की अपनी
गर युद्ध फिर कभी से घमासान हो गया।
पीछे से वार करने कि फितरत तुम्हारी है
दम है तो देख हिंद हिन्दोस्तान हो गया।
आतंकियों की पौध जो तुमने लगाई है
उन्हें ठोंकते ही समझो समाधान हो गया।
हिंद की सेना कभी अपने पे आ गयी
कहना नहीं के खत्म खानदान हो गया।
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