इक्विटी फंड् कितने प्रकार के होते हैं और अलग अलग इक्विटी फंड्स में किस तरह से निवेश करते हैं आज हम यह जानने की कोशिश करेंगे। और साथ में यह भी समझेंगे कि विभिन्न इक्विटी फंड्स के अनुसार उनमें कितना जोख़िम होता है आलग - अलग इक्विटी फंड्स में मुनाफे की संभवना कितनी होती है। कौन से निवेशकों को किस तरह के इक्विटी फंड में निवेश करना चाहिए। साथ ही ये जानेंगे कि लार्ज कैप, मिड कैप, स्मॉल कैप और सेक्टर फ़ंड में क्या - क्या अंतर होते हैं।
विभिन्न म्यूचुअल फंड कंपनियों में इक्विटी फंड सबसे ज्यादा पॉपुलर ( मशहूर) हैं।तो आज हम विस्तृत रूप स इक्विटी फंड्स के बारे में बातें करेंगे। ये फंड इसीलिए इतने लोकप्रिय हैं क्योंकि ये फंड शेयर बाज़ार में निवेश करते हैं और उसी तरह रिटर्न भी देते हैं। अधिकतर इक्विटी फंड,कंपनियों के मार्किट कैपिटलाइजेशन के अनुसार निवेश करते हैं और उसी प्रकार उनका वर्गीकरण ( Classification) भी किया जाता है । इक्विटी फंड को अधिकांशतः लार्ज कैप, मिड कैप और स्माल कैप में बांटते हैं। इसके आलावा डाइवर्सिफाईड फंड, ELSS और सेक्टर फण्ड भी होते हैं।
types of equity fund |
Large Cap Equity Fund / लार्ज कैप इक्विटी फंड
लार्ज कैप इक्विटी फंड्स अधिकतर बड़ी कंपनियों में निवेश करते हैं। फंड इन कंपनियों में उनके मार्केट कैपिटलाईजेसन के आधार पर निवेश करते हैं. इन कंपनियों को निवेश के लिए बहुत सुरक्षित माना जाता है क्योंकि वे अपने उद्योग क्षेत्र में अच्छी तरह से स्थापित कम्पनियां होतीं हैं और एक तरह से टॉप की कंपनियों को ही लार्ज कैप में रखते हैं। यही वजह है कि लार्ज कैप फंड्स को ऐसे इक्विटी निवेशकों के लिए उपयुक्त माना जाता है जो अधिक जोख़िम लेना पसंद नहीं करते। इस तरह के फंड कम जोखिम के साथ साधारण रिटर्न देते हैं।
Mid Cap Equity Fund / मिड कैप इक्विटी फंड
मिडकैप फंड अधिकतर मध्यम आकार की कंपनियों में निवेश करते हैं। इन कंपनियों के निवेश में जोख़िम थोड़ा मध्यम होता है क्योंकि यहाँ ये संभावना होती है कि ये कंपनियां अपनी पूर्ण क्षमता से विकास कर पायेंगी या नहीं। हालाँकि यदि ये कम्पनिया आगे चल कर बड़ी कम्पनियां बन जातीं हैं तो निवेशकों के लिए बहुत लाभप्रद भी हो सकतीं हैं. अधिक जोखिम को उठा सकने वाले निवेशकों को ही इनमें निवेश करना चाहिये।
Small Cap Equity Fund / स्माल कैप इक्विटी फंड
स्मॉल कैप फंड छोटी - छोटी कंपनियों में निवेश करते हैं । इन कंपनियों के शयेरों में निवेश बहुत ही जोखिम भरा हो सकता है, क्योंकि उनके बारे में बहुत कम जानकारी लोगों को पता चल पाती है। हालांकि ये कम्पनियाँ बहुत ज्यादा मुनाफा भी दे सकतीं हैं लेकिन इसमें जोख़िम बहुत होता है। आगे चल कर ये कंपनियां विकास भी कर सकती हैं और दिवालिया भी हो सकती हैं। इस तरह के फंड केवल उच्च जोखिम उठा सकने वाले निवेशकों के लिए उपयुक्त होते हैं।
इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम यानि / ELSS
इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम को टैक्स प्लानिंग म्युचुअल फंड के तौर पर भी देखा जाता है। ये उन निवेशकों के बीच काफी लोकप्रिय है जो अपना टैक्स बचाना चाहते हैं क्योंकि इसमें निवेशकों को आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत करों में छूट का प्रावधान हैं। इन फंडों में निवेशक को 1.5 लाख रुपये तक की कर कटौती प्राप्त हो सकती है। इन फंडों में तीन साल तक का अनिवार्य लॉक-इन पीरियड होता हैं। जिसका मतलब ये है कि निवेशक इसमें निवेश करने के बाद तीन वर्ष तक अपना पैसा निकाल नहीं सकते।
Diversified Equity Fund / डाइवर्सिफाईड इक्विटी फण्ड
फंड मैनेजर अपनी मार्केट की समझ के आधार पर डाइवर्सिफाईड इक्विटी फंड का निर्माण करते हैं जिसमें वो निवेशकों के जोख़िम को कम करने के लिए पूँजी को बड़ी, छोटी और मध्यम तीनों तरह की कंपनियों में निवेश करते हैं । चूंकि पोर्टफोलियो में छोटी बड़ी और मध्यम तीनों तरह की कंपनियां होती हैं इसलिए वे मिड कैप और स्माल कैप फंडों की तुलना में कम जोखिम वाले होते हैं, लेकिन लार्ज कैप फंडों के मुकाबले में इनमें थोड़ा जोखिम अधिक हो सकता है। ये फंड साधारण जोखिम वाले निवेशकों के लिए उपयुक्त हैं।
Sector Fund / सेक्टर फण्ड
सेक्टर फण्ड का मतलब है कि ये फंड अधिकतर अपना पैसा किसी क्षेत्र विशेष की कंपनियों के शेयरों में लगाते हैं। जैसे कि ऑटो सेक्टर , फार्मा सेक्टर, रियल एस्टेट सेक्टर, टेलीकॉम सेक्टर आदि। चूंकि इनमें निवेश किसी एक क्षेत्र पर केंद्रित होता है इसलिए सेक्टर फंड को बेहद जोखिम भरा माना जाता है। और ये फंड उन लोंगो के लिए उपयुक्त होते हैं जो लोग मार्केट की अच्छी समझ रखते हैं और मार्केट के उतार- चढ़ाव को अच्छी तरह समझते हैं। उदहारण के लिए फार्मा सेक्टर फंड केवल फार्मा कंपनियों ( मेडिसिन , मेडिकल उपकरण आदि में लगी कंपनियां) में ही निवेश करेगा। आये दिन वैश्विक घटनाओं के कारण अर्थव्यवस्था में बदलाव होता रहता है जिसके कारण से विभिन्न क्षेत्रों की किस्मत भी बदलती रहती है। अतः निवेशकों को अपने कुल निवेश का केवल एक छोटा सा भाग ही सेक्टर फण्ड में निवेश करना चाहिए। जब तक निवेशकों को मार्केट की अच्छी समझ न हो जाए तब तक तो इस सेक्टर से दूर रहना ही मुनासिब है।
तो आज हमने विभिन्न प्रकार के फंडों के बारे जाना। मेरी और भी पोस्ट पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें। धन्यवाद।
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